Thursday, November 20, 2008

















दूर जाते हो करीब आकर, तो बुलाया क्यों था।
तोड़ना दिल ही था तुमने, तो दिल लेगाया क्यों था॥
इतना खुश रहते हो तुम, कहते थे लोग मुझे,
आंसू ही पसन्द थे आपको तो हंसाया क्यों था,
गमों से दूर, हंसी ख्वाबों में, मैं सोचा करता था,
उ+ड़ानी नींद ही मेरी, तो जगाया क्यों था,
मुझे अहसास न था कि वक्त ऐसा भी आएगा,
निभाना ही न था साथ, तो हाथ मिलाया क्यों था,
चमन जो मेरा कहता था वो अक्सर याद आता है,
भगाना थी ही मुझको, तो पास बैठाया क्यों था,
'कंवल' किस्मत में तो ना कुछ उम्मीद बाकी है,
रूलाना उर्मभर ही था तुमने तो मुस्कराया क्यों था॥

Wednesday, November 12, 2008

Sandeep Kanwal

हरियाली तै भरपूर, यो पूरा हरियाणा सैं,

भिवानी जिला म्हं गाम सुणा जिसका नाम भुरटाना सैं,

इस गाम की खूबी रै देखो, पाले का बकरी चराणा,

लखा का दारू पीके नै, भतेरी न साथ नचाणा, लड्डा की गां भाजगी,

घणष्याम का कुआं म्ह बड़ जाणा, जगना नै टेलरी छोड़के, पडा टोका चलाणा,

सबकी थोड़ी-थोड़ी खूबी, देख-देख मर जाणा सै,

भिवानी जिला म्हं,एक गाम सुणा जिसका नाम भुरटाना सैं

रामकुवार नैं करी तरक्की, उपर उठ जाणा रै,

सब्जी की रेड्डी लाकै, गाम म्हं नाम कमाणा रै,

जागे का चा का होटल, डिग्गी पै पाणा रै, घीसा की लम्बाई देखो,

मदनपाल का द्यार्माणा रै, सरभुराम व्यापारी का, पेट उगाड़ा पाणा रै,

जीवण नै हर टेम, दारू कै ठेका पै पाणा सै।

भिवानी जिला म्हं,एक गाम सुणा जिसका नाम भुरटाना सैे।

इन्द्राज की नींद का चाला, बात-बातां म्हं हौले,

सन्तलाल का दारू पीणा, कदे नहीं करै रौले, '

परमानन्द का खेती करणा, दाणा-दाणा टोहले,

क्रिकेट म्हं छक्के मारै, वाह रै छोरे धौले,

रेड्डू भी खत्म ना होणे, भूप नै टोका चलाणा सै।

भिवानी जिला म्हं,एक गाम सुणा जिसका नाम भुरटाना सैे॥

एक सरपंच इसा देख्या, पांच योजना करग्या राज,

पच्चीस साल नुए काढ़ दिए, कोए ना करवाया काज,

एक जणै कै उतरे घसा कै, पूरे सौ-सौ जहाज,

महता भी नूं कहवै, इब लेलू टेक्टर,कार आज,

कर्मचन्द नै खेती छोड़के, इब रूप्या कमाणा सै।

हरचन्द नै इग्लिंष बोलके, फैषन दिखाणा सै।

भिवानी जिला म्हं,एक गाम सुणा जिसका नाम भुरटाना साईं

Monday, November 10, 2008

संदीप कँवल

संदीप कंवल
निर्दोष गरीब लाचार नै, ये बेकाम कूटण लाग्गै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥
बड़ी-बड़ी सिफारिश लेरे, खूब पिसा कमाया रै,
आदमी मारा इन्नै, वो गुण्डा भी ना थाया रै,
आम आदमी कै उपर, यो खडा मौत का साया रै,
रिश्वत लेण म्हं हरियाणा म्ह, यो गंदा महकमा बताया रै,
इन्नै बालक भी डराया रै, जैल म्हं तै गुण्डे भी छूटण लागै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥
छोरा-छोरी फंसजा तो ये, इसा हथकंडा अपनावैं रै,
जनता जाव भाड़ म्हं, ये अपना काम कर जावैं रै,
छोरी आलां पै लेव रूपया, खूब धन कमावैं रै,

ये हरदम दुआ करै, रोज इसे कैस आवैं रै,
ये खुद भी आंख लड़ावै रै, सारे रिश्ते टुटण लाग्गै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥
इनकी तो शर्म भाजगी, मोह माया की होरी खाज,
न्याय मांगण छोरी आई, थाणे कै म्हं तारी लाज,
गाल बक-बक बोलअ्‌ सै, कहवै इब चालअ्‌ माह्‌रा राज,
पूरा पुलिस महकमा कै, ला राख्या सै रै काला दाग,
रै भोला इन्सान जाग, क्यू घूंट सब्र का घूटण लाग्गै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥
इन सारी बातां का, इब ध्यान धरणा होगा,
ना मरैगी कोए बाहण,बेटी, इसा काम करणा होगा,
इन पुलिसियां का भी, कूकर भोभा भरणा होगा,
रक्षक होगे भक्षक इब, इनतै कै डरणा होगा,
कहं सन्दीप भुरटाणे आला, इब सारे उठण लाग्गै।
ये खाकी वर्दी आले भी रै, देश की इज्जत लूटण लाग्गै॥

Sunday, November 9, 2008

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