Saturday, February 25, 2012

भाईयो ये कविता आज के युवाओं के लिए हैं जरा गौर करिएगा

प्यार एक मीठा धोखा है, उसको तुम पहचानो,
चोट लगी है जिस दिल पे, उनकी बात तो मानो।।
प्यार करो अपने बहन-भाइयों से, प्यार करो इन गुरूओं से,
असली प्यार को तो, अपने मात-पिता से जानो।

प्यार लोगों के जीवन में, नया उजाला लेकर आया,
इसी प्यार ने कई लोंगों का जीवन भी बरबाद करवाया,
आज के युवा पर प्यार का ऐसा सरूर है छाया,
सच्चा प्यार नहीं करता वो करता है मोह माया,
सर्दी में गर्मी लगती है, मत छाता तुम तानो,
जिसके चोट लगी है दिल पे, उसकी बात तो मानो।।

माता-पिता के दिल से पूछो, तुझपे कितनी आस लगाए बैठेंहेै।
बिन कुंए के भी वो अपनी, प्यास बुझाए बैठें हैं।,
सभी सगे सम्बन्धी भी तुझपे पूर्णविश्वास जताए बैंठे है।
तु देता गुलाब किसी को ,वो भी एक गुलाब खिलाए बैठे हैं।।
सबके प्यार को तुम एक छलनी में मत छानो,
जिसके चोट लगी है दिल पे, उसकी बात तो मानो।।

भाईयो के के खोग्या अर के के खोग्या मेरी देखम देख म्हं घणी मस्त कविता सै,,पढियों रै भाईयो गादड बिल्ली का डर का बिठाइयो

के के खोग्या,, अर के के होग्या मेरी देखमदेख म्हं,,
उन टेमां म्हं नानी अर् माॅं कहाणी ब्होत सुणाया करदी,,
जै बालक कोए रोण लागज्या हाउ कहकै डराया करदी,,
भूत-भूतणी , कुता-बिल्ली, मिण्डक की बात करया करदे,,
गादड़ का इसा भय बैठा हाम बड़े होके भी डरया करदे,,
बामण न नाम धरया षेर सिंह, पर डर लागै उस गादड़ तै,,
जै मिलज्या किसे रात एकला, कोण निपटै उस खागड़ तै,,
फेर एक दिन इसा चाला होया, पोली म्ह थी खाट पड़ी,,
थका पड्या था उसपे सोग्या, आधी रात नै लगी झड़ी,,
बादल गरजै बिजली चमकै पेट म्हं मरोड़ा लाग्या,,
गुदड़े खाट भरण का डर था गादड़ का डर थोड़ा लाग्या,,
फेर भी गादड़ तै डरदै नै थोड़ी देर तै करी हंगाई,,
ल्गा हुमाया टुटया नहीं करदा,, फेर डरदे नै जेली ठाई,
देखी जागी जो होगा, फेर दो खडंका की आंटी लाई,,
जै नट बोल्ट का सिस्टम होदंा जरूर चूड़ी कस लेदंा भाई,,
गादड़ तै इसा डरया ष्षेर सिंह गुद्दी के बाल खडे होग्ये,,
ज्यूं-ज्यूं दबी पडै गात पै, गादड़ और भी बडे़ होग्ये,,
फेर भी भाज्या दोड़ी करकै न सारी गली नै करग्य पार,,
फलषे के म्हं परस कै धोरे षेर सिंह न मानी हार,,
गली कै बीच म्हं आंख मिचके उसनै दंगल डाट दिया,,
मां के बिठाए भय कै कारण शेर सिंह ने जस काट दिया,,
उसकै पेट म्ह चैन सा होग्या,
बिना हाथ धुवाए ए सोग्या,,
कोण डूब गया बिना पाणी रै
सारा गाम कट्ठा होग्या,
षेर सिंह की घरआली सबेरे जोहण तै पाणी ल्याई,
उसनै आके घड़ा तार कै,, खरीखोटी चार सुणाई
वो बोल्या -
सुण स्याणी तन्नै बताउं, तेरा मेरा किसने बांटया सै,,
जिकर घणा तै करीया ना, यो जस मनै ए काट्या सै,,
आखर म्ह तारतै एक बात कहूंगा’-
गादड बिल्ली, का भय ना बिठाइयो, बालक हो चाहे पेट म्हं,,
के के खोग्या,, अर के के होग्या मेरी देखमदेख म्हं,,

Friday, February 24, 2012

भाईयो इन छोरियां न म्हारे हरियाणा म्हं प्यार का नाटक करके ब्होत छोरां के घर लुटवा दिए। बरगर, ढोसे, समोसे खा खूं के पार ज्यां सै। गाबरू गामां के छोरा तै यो संदेष सै

यारी करलो कोण नाटै, इन छोरियां तैं करीयो।
खूब खूवाओ बरफी रै, पर प्यार ना करीयो।।
जितणा प्यार करोगे रै,
ताम् उतणा ए मरोगे रै,
जाड्डै म्ह बी लागै गर्मी,
धोरै पाणी धरोगे रै,
बांगे-बांगे फिरोगे रै, टेम पै ना फिरियो।।
खूब खूवाओ बरफी रै, पर प्यार ना करीयो।।
ताहरै गेल्यां हौवे चाला रै,
जै होश ना संभाला रै,
उल्टा काम करौगे तो,
होज्यागा जान का गाला रै,
थामनै पड़रया सै ढाला रै, औरां नै ना पडि़यो।
खूब खूवाओ बरफी रै, पर प्यार ना करीयो।।
जद् बडडे उनका मनाओगे,
रै मंहगे गिफट मंगाओगे,
गुठी पहरा कोए लेज्यागा,
देखते ताम रहज्यावगो,
जांदे-जांदे हाथ हलाआगो, जिते जी मरियो।
खूब खूवाओ बरफी रै, पर प्यार ना करीयो।।
प्यार करा इस ढंग मैं,
हो लिया घणा तंग मैं,
सन्दीप भुरटाना जा बैठा,
चम्भोचाली कै संग म्हं,
कै धरा सैं रंग म्हं, पर मैल तै ना भरियो।
खूब खूवाओ बरफी रै, पर प्यार ना करीयो।।

Thursday, February 16, 2012

भाईयो सूरजकूंड मेला की झलकी तारै सामी सै,,,,,,,,,,कोमेंट जरूर करियो

सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

भीड कसूती चाला थी
घणी ए टंगरी माला थी
कोए बटुए बेजण आला था
कुर्सी मेज अर ताला था

हरियाणा के झबरू कुते भी ओडै पाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

कोए कुलफी 50 रूपयां की बतारा था
कोए गोलगप्पे 30 के 6 खुवारा था
सारे कमाई पै चालरे थे
सब भीड म्हं भम्र पालरे थे
हामनै तो गोलगप्पे भी मेला त बाहर खाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

छोरी घणी कसूती आरी थी
कोए पतली कोए भारी थी
भीड म्हं भीडके चालै थी
सीधी कबड्डी घालै थी
म्हारे सामी कई छोरिया नै टिसरट पै जहाज मंडवाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

अंगेजां के जोडे भी कमाल थे
वे तो उपर तै नीचे तई लाल थे
हरियाणवी छोरां के तो बुरे हाल थे
बूढ नाचण म्हं आपणे सबतै टाल थे
संस्करिति के रूखालै हामनै आगै ए पाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

हरियाणा का आदमी होगा ब्होत स्याणा
कई अंग्रेजा नै भी खाया देशी खाणा
मेलां का हाल लिखै संदीप भुरटाणा
हामनै तै आगलै साल भी ओडै सै पाणा
हरियाणवी छोरे तो हर किते छाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

Wednesday, February 15, 2012

गुरू रविदास जी की आरती

जय जय हो रविदास चमारा
हरदम रहे आशीर्वाद तुम्हारा

पढना लिखना सिखाया तुमने
रोते को हंसना सिखाया तुमने
गुरू हमारा सबसे प्यारा
जय जय हो रविदास चमारा

तुम सुख और दुख के साथी
ज्योत तुम्हारी जलती जाती
तुमने किया है सब उजियारा
जय जय हो रविदास चमारा

भक्तों के तुने काज संवारे
लगते हो तुम सबसे प्यारे
तुम ही हो बस एक सहारा
जय जय हो रविदास चमारा

संदीप तुम्हारा सेवक दास जी
गीत लिखने में हुआ पास जी
तेरा ही लगे सब जगह जयकारा
जय जय हो रविदास चमारा
हरदम रहे आशीर्वाद तुम्हारा

संदीप कंवल भुरटाना
09896763076