Friday, July 8, 2011

संदीप कंवल भुरटाना ब्याह

बाबा पीर की जय
म्हारे गामां के ब्याह के बारे में पूरा लेखा-जोखा, हिसाब-किताब अर् ब्याह जडअ् तै ष्षुरू होवे ओडे तै लैके आखर तक पहंुचाण की कोषिष करी सै, उम्मीद सै तामनै जरूर पंसद आवगी

संदीप कंवल भुरटाना

हर किसे कअ् चड्ढे चा,
जद होंदा होवै ब्याह,
गांमा की पुराणी रीत,
घरां गाए जावैं गीत,
सात-ग्यारह दिन का लग्न आवै,
छींक -छीक के नै मिठाई खावैं,
फेर दैंव घर आले बाना,
मीठा भैके रोटी खाणा,
चिन्ता भी फेर रोज हौवे,
उन दिनां म्हं मौज हौवे,
ब्याह तै पहलड़ा दिन भातियां का आणा,
गाम आलां का खाणा चालू करवाणा,
फेर मामे भरैं भात,
ब्होत करणी पडै़ खुबात,
भाई-बाहण कै सहारा लावै,
बूढ़ला की रीत निभावै,
लिखें भात खुलैं बही,
उसे रात फेर चढे तई,
गुड़ चीनी की चाष्णी छणे,
लाडू, जलेबी मिठाई बणे,
कोए बोचण म्हं फैदा ठाज्या,
अंधेरा म्हं लाडू खाज्या,
ब्याह का बड़ा मीठा खेल,
पहलड़ा दिन नै कहवां मेल,
बाने काढे गिण-गिण,
फेर आवै ब्याह आला दिन,
पहलां बनड़ा का तैल तारैं,
फोटू आलै भी झिमका मारैं,
सारे सिंगर डोल कै होज्या तैयार,
काडदे बनड़ा का त्यौहार,
बनड़ा नै नाई नुवांवै,
आच्छा साबण पाणी लावैं,
लाल लत्ता सिर उड़ा रै,
फेर मामा पाटड़ा पै तै तारै,
फेर बनडा कै जींजा की आवै बारी,
पहला टोपी मंदिर जाण की तैयारी,
चढ़ घोड़ी मंदिर म्हं जाणा,
फेर भगवान नै षीष नवाणा,
डीजै पै बाजै गाणे हिट,
यार दैवं सारे गिफट,
भाभी आंख्या म्हं कालस घालै,
मांगै नेक फेर नाड़ हालै,
फेर बाराती चालै होके लैट,
आगलै गामै फेर हौवे फेट,
करकै नै पूरी खुबात,
आगलै गांम फेर पहुचै बारात,
औडे मिलणी पै बुढे आवैं,
माला घाल गलै मिल जावैं
खातिरदारी की पहली निषानी,
कंपा कोला और षरबत का पानी,
दैव सालै जतावैं प्यार,
मिनट म्हं कहवै रिष्तेदार,
फेर पंडत जी आवैं,
रस्मुना सा करकै जावैं,
थोड़ी पुराणी रीत निभावैं,
बरी का सामान भी ले ज्यावैं,
फैर हौवे फेरां की तैयारी,
ब्हुंआ कें सिंगार म्हं टेम लागै भारी,
छोरे भी डीजै पै गाणै लगवांवै,
नाच-नाच के धूमैं ठावैं,
घणखरे ब्होत ए माच्चैं,
बेतल मुंह कअ् लाकै नाच्चै,
आज्या छोरीआलां का घर,
ढोलकियां की आरी मर,
फेर साली निम झारैं,
जोर का फटकारा मारैं,
एक रिबन भी कटवांवै,
राम दणी सी नैक लेज्यावैं,


कई छोरे अल्बाध कर ज्यावैं,
सपरे मार धोली कर ज्यावैं,
मजै आवैं जिब भतेरे,
फेर षुरू हो ज्यावैं फेरे,
छोरी नै लेके मामा आवै,
राम दणी सी पाटड़ा पै बिठावै,
पंडत जी ब्होत बार लगावै,
पिसे देदीं ए फेरे तावले करावै,
छोरी आलै दैंव ब्होत सामान,
फेर वो घालै कन्यादान,
घणी गर्मी म्हं चालै बीजणे,
सरी लुगाई दैंव सिटणे,
बनडे की बेबे ए,,,,,,,,,
भीड़ म्हं नहीं मिलै सीट,
फेर छोरी दैंव गिफट,
कैमरा आला गैंल्या करैं कैंस,
बोली खाली ना मारिए फलैस,
घूम-घूम सात फेरें हो ज्यावैं,
फेर सारे बाराती खाणा खावैं,
मेल-जोल म्हं होवैं सब फिदा,
आखर म्हं फेर हौवे विदा,
बूढे़-बडेरे की हौव मान तान,
कांबल, गुट्ठी का हौव दान,
लाल-लाल सी ठावै किताब,
सारै ब्याह का हौव हिसाब,
फेर आखरी घड़ी सै आई,
बारात की फेर हौव विदाई,
सबकी आंख्या म्हं आंसू आवैं,
जिद घर तै एक आदमी जावैं,
कुछैक घंटा म्हं मिटै चा,
न्यू हो ज्यावै सै भाईयों ब्याह,
हर किसे कअ चडढे चा,
जद होंदा हौवे ब्याह।।।।।।

संदीप कंवल भुरटाना

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