Thursday, September 22, 2011

संदीप कंवल भुरटाना




सबे किम कर दिया मंहगा, जनता पै छुरी तलवार चलादी रै,
बिजली, पाणी कुछ कोन्या लोगो, या किसी सरकार बणादी रै।।।

पाणी-पाणी होरया था रै, कित गया रै पाणी
कोन्या आंदी भाइयो बिजली, कितै कांटा सानी
भलो-भलो के वोट लेग्ये, बात पहल्यां कोनी मानी
आंए ए बेबे नाटक रहग्या, देखां अधेरा कानी

इन धोलपोशा कअ झगडंा म्हं, या भोली जनता लडादी रै
बिजली, पाणी कुछ कोन्या लोगो, या किसी सरकार बणादी रै

चीनी मंहगी चावल मंहगा, सब किते हाय लागरी
बिस्कूट लावगा मेरा पापा, वा गुडिया रोवण लागरी
एक ताई देकची म्हं दाल का टुकडा टोवण लागरी
पिलशन मिलदी हाणी भी वा झगडे झोवण लागरी

इन भोले भाले लोगां कअ हाथां म्हं हथियार ठुआदी रै
बिजली, पाणी कुछ कोन्या लोगो, या किसी सरकार बणादी रै।।।

हरियाणा म्हं भी केन्द्र म्हं भी, फेर भी पाणी ना आया रै
एसवाईएल का मुददा कदे सीएम नै ना ठाया रै
काम करा एकला रोहतक म्ह बस पुलां पै घुमाया रै
खरीद फरोक्त मह जनता नै तकडा डीलर बताया रै

अर विदेशी कम्पनियां कअ हाथा म्हं जमीदारां की जमीन भी थमादी रै
बिजली, पाणी कुछ कोन्या लोगो, या किसी सरकार बणादी रै।।।

सारे जणे कटठे होके करो बातां का समाधान
एक एक आदमी नै समझाओ छेडा इब अभियान
इस गूंगी बहरी सरकार के खोल दो एकबे कान
जिद तक पाछे ना हटो बात ना ले मान

कह भुरटाणे आला एक बात इब तख्ता पलट बगादो रै
फेर याद करके उस देवी के लाल नै चश्मे पअ मोहर लगादो रै

फेर ना देखणी पडगी बिजली पाणी की बाट
होंगे इस जनता जनार्दन उस किसान के ठाठ
बात पक्की सै लोह लाट
आपां नै लिखदी साच्ची बात
या कईयां नै भूंडी भी लागगी
पर मेरी आई डी पै कुंडी भी लागगी
पर पाछे नहीं हटणे आले हाम
सबनै मेरी हाथ जोडके राम राम।।।।।।।।।।।

माटी के बेटे हैं हम
हम फर्ज निभाना जानते हैं,
एहसान की कीमत जानते हैं,
एहसान चुकाना जानते हैं
ये सर भले ही कट जाए
पीछे नहीं हटेंगे हम
हम जान की कीमत जानते हैं
हम जान लुटाना जानते हैं।।।।।।

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