संदीप कंवल भुरटाणियां
उसकै खाणा पीणे नै मार दिया यारो
तारी भाभी का दिल रोज खटाई मांगै सै
ज्यूं-ज्यूं दिन टपदा जावै सै यारौ
समोसे, बरगर, पैटीज की रटाई मांगैं सै
कित लाउं रोज मैं ताजा ब्यावडी भैंस
बैरण हर टेम खीश अर मलाई मांगैं सै
घणा दुखी कर दिया सूं उसने यारो मैं
वा रोज नए-नए हलवाई मांगैं सै
फूल के पेठा सी होगी भाईयो वा चाली
उसका गात घणी कसूती कूटाई मांगै सै
न्यूं लुगाई तै डरकै के जीणा सै कंवल
संदीप का दिल तो बाबा आली चटाई मांगैं सै
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