भैंस का चौथ गाय की थेपडी म्हं चिपट कै रहगी
मेरी लुगाई की जिंदगी गोसां म्हं सिमट के रहगी
पांच बजे उठदी ए चाली, गोबर कानी चालै सै
सारा ठाण भार कै, फेर तासले म्हं घालै सै
हाथां की लकीरां म्हं उसके गोबर लिपट के रहगी
मेरी लुगाई की जिंदगी गोसां म्हं सिमट के रहगी
छोटी थेपडी, बडा गोसा, इन्नै का जिकरा राखै सै
कोण सी भैंस मारै चैथ, हरदम ठाण कानी झाकै सै
पक्का फर्श नहीं करण देंदी वा खांचे म्हं रिपट के रहगी
मेरी लुगाई की जिंदगी गोसां म्हं सिमट के रहगी
रोज बेरण खेत म्हं जाकै, जई, बाजरी बरसम लावै सै
फेर चाली कहके हांसे, इब तो पतला गोबर आवै से
हर किते जिकर चलावै से सबेरे नलके उपर फहगी
मेरी लुगाई की जिंदगी गोसां म्हं सिमट के रहगी
दौ सौ गज का प्लाट म्हं, गोसे नहीं सै थोडे
तारी भाभी नै भाईयो ला राखै सै दस बिटोडे
यो संदीप तन्नै समझावै सै, बोली क्यातैं तु रै बहगी
मेरी लुगाई की जिंदगी गोसां म्हं सिमट के रहगी
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