Thursday, February 16, 2012

भाईयो सूरजकूंड मेला की झलकी तारै सामी सै,,,,,,,,,,कोमेंट जरूर करियो

सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

भीड कसूती चाला थी
घणी ए टंगरी माला थी
कोए बटुए बेजण आला था
कुर्सी मेज अर ताला था

हरियाणा के झबरू कुते भी ओडै पाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

कोए कुलफी 50 रूपयां की बतारा था
कोए गोलगप्पे 30 के 6 खुवारा था
सारे कमाई पै चालरे थे
सब भीड म्हं भम्र पालरे थे
हामनै तो गोलगप्पे भी मेला त बाहर खाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

छोरी घणी कसूती आरी थी
कोए पतली कोए भारी थी
भीड म्हं भीडके चालै थी
सीधी कबड्डी घालै थी
म्हारे सामी कई छोरिया नै टिसरट पै जहाज मंडवाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

अंगेजां के जोडे भी कमाल थे
वे तो उपर तै नीचे तई लाल थे
हरियाणवी छोरां के तो बुरे हाल थे
बूढ नाचण म्हं आपणे सबतै टाल थे
संस्करिति के रूखालै हामनै आगै ए पाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

हरियाणा का आदमी होगा ब्होत स्याणा
कई अंग्रेजा नै भी खाया देशी खाणा
मेलां का हाल लिखै संदीप भुरटाणा
हामनै तै आगलै साल भी ओडै सै पाणा
हरियाणवी छोरे तो हर किते छाए
सूरजकुंड मेला म्हं मजे कसूते आए

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