Tuesday, August 2, 2011

संदीप कंवल भुरटाना

लो भाईयो तीज का मौका पै एक और गीत तारै नाम
जमा ताजा इबे लिखकै भेजू सूं,,,,,,,,,ठेठ हरियाणवी म्हं
सारे भाईयां नै लोग अर लुगाईयां, चाचा नै ताईया, बहु अर जमाईयां नै,,,,,तीज की ढेर सारी बधाईयां

छोरा गिरकाणा लागै घणा स्याणा, उठदी ए डाला पै चढाया
तीज का दिन यारों, मैं पींग घाल के आया।।।।।ं

सारे जणे मिलके झूलो,
पुराणे रीति-रिवाज ना भूलो,
दारू पी-पी ना रै टूलो सारा तई समझाया।ं
यो छोरा भुरटाणे का, पींघ घाल के आया।।

पींग शिखर आसमान चढाई
सासु का नाक तोड के लाई
सबेरे पहला फेसबुक आलो रै, कसूता मजा आया
यो छोरा भुरटाणे का, पींघ घाल के आया।।

गामां के सब रंग बदलगे,
त्यौहार मनाण के ढंग बदलगे
सबेरे पहलां मेरा बाबु, बरफी का डब्बा लाया।ं
यो छोरा भुरटाणे का, पींघ घाल के आया।।

हलवा सुहाली कोए ना मणावै,
समोसे, रसगुल्ल्ेा चाउमीन खावै,
पेट म्हं आफारा आवै, फेर इन्नो पाणी म्हं मिलाया
गैस का गोला फूटा भाइयों एटम बम्ब बणाया

साच्ची बात लिखके करै चाला
संदीप कंवल भुरटाणे आला
आपणे सारा का राम रूखाया, इबे यो गीत बणाया
दो मिनट लागण कोन्या दी, रत्नावली पै चढाया
यो छोरा भुरटाणे का, पींघ झूल के आया।।

संदीप भुरटाणियां

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