Thursday, August 4, 2011

चहक रही चिड़िया

Sandeep Bhurtania............ki 1 kavita Hindi m ...bhi..........padhiyo ....mere......Haryanvi Dhurndharon.........

चहक रही चिड़िया
को देखकर,
लगता हो गई सुबह,
उठना, घूमना, खाना,
पीना सब कुछ शुरू,
हो जाता है तब,
मुर्गे के बांघते ही,
पशुओं को चारा,
डालना कर देते है लोग,
पक्षी चहचहाते साथी,
मानव जीवन के,
पर पता नहीं चलता,
इनके सुख-दुख की घड़ियों का,
हरदम मस्ती में डूबे रहते है,
पर जब कोई चील या बाज,
आकर ले जाता है इनके अंडे,
कोई संाप खाता है जब इनके बच्चे,
तब तो पता चलता है,
इनके रूदन का,
कोसों दूर जाकर शाम को
घर आ जाते है,
जैसे कि मानव,
सारा दिन बाहर काम करके,
शाम को घर आता है,
बहुत से मेल खाते है,
इनके काम, मानव से,
पर हर समय खोये-खोये,
रहते है ये भी,
जैसे मानव भी खोया रहता है,
अपने सुख और दुखों के साथ,
ये भी भटकते रहते है,
सुख की चाह में,
झंुड बनाकर रहना,
मस्ती में डूबना,
फिर शाम को घर आना,
अपने बच्चो से प्यार करना,
सब वे ही काम जो
हम करते है जीवन में,
इस ये पता चलता है,,
कि जीवन एक है,
इसके जीने के तरीके अलग-अलग हैं,,
जैसे भगवान एक है,
उसको पाने के तरीके अलग-अलग हैं,,
ये सभी पहलू है जिंदगी के,,
खुशी से जीते जाओ मेरे यारो,,,
सन्दीप कंवल भुरटाणियां

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