Sunday, August 28, 2011
पम्प ब्होत नेता पम्प मारे सै अर जीत जा सै इनपै एक छोटी सी कविता
संदीप कंवल भुरटाना
सब क्यांए म्हं चालरै बडे बडे पम्प
मॉडल की हवा जिद बणे जिद वा चालै रैम्प
राजनीति म्हं दलबदलू नेता मिनत म्हं मारै जम्प
बात जम्प की चालरी,
लागजा आडा जम्प तो टूटज्यां हाड
जिसकी घणी लाठी हो, उसकी होंव ठाड
चोट लाग्यां पाच्छै लेणी पडै दवा
मैं बोल्या रै पम्प आलो, आड्डे पम्प भी मार लिया करो
पाछलै इलैक्शन की गलतिया नै, थोडा ब्होत सुधार लिया करो
न्यूं बोल्ये पम्प सही सै म्हारे इबे, तेल ग्रीस कर दयां सां
जै कोए नहीं मानै राम तै, सोड उसकी भर दयां सां
बात कसूती कहगे वो डर मन्नै भी लाग्या
उनकी भूंडी सूंडी सुणके मै तो घरा आग्या
राजनीति तै बडे किते नहीं घपले घपलम घम्प
सही हवा उसे की बणै जो मारै सही पम्प
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